प्रबन्धक जी का संदेश

प्रबन्धक पद संभालने के पश्चात् मैंने सोचाकि महाविद्यालय का संचालन जिस ढंग से बाबा करते थे शायद उस ढंग से मैं न कर पाऊं क्योंकि उनकी अपनी सोच थी, अपनी कार्य शैली थी। फिर भी मैं सतत् प्रयास करूंगा कि उनके द्वारा किये गये कार्यों को अक्षुण्ण रख सकूं, और अधूरे कार्यों को पूर्ण कर सकूँ। हालांकि इस कार्य को पूरा करने में मेरे पितामह की अदृश्य शक्ति और शिव कृपा अवश्य मेरी सहायता कर रही है और पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी उनकी कृपा को किरण मुझे प्रकाश देती रहेगी। आज महाविद्यालय परिवार के समस्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों का पूर्ण सहयोग मुझे प्राप्त हो रहा है और उनका बल मेरा बल है ऐसा मानता हुआ मैं अपने पितामह को उनको नमन् करता हूँ। इस आशा और विश्वास के साथ कि जिस गुरुत्तर दायित्व का भार मेरे कमजोर कंधों पर डाला गया है उसको मैं सहन करने में असमर्थ हूँ फिर भी यदि बाबा की कृपा और भगवान शिव की कृपा मेरे ऊपर बनी रहेगी तो मेरे कमजोर कंधों में अपार शक्ति का संचार होगा और इस गुरू गम्भीर बोझ को ढो सकूँगा।

शुभकामनायें!

    डाँ शशिकान्त राय
प्रबन्धक
खरडीहा महाविद्यालय
                                                             खरडीहा – गाजीपुर