महाविद्यालय - वन्दना

महाविद्यालय वन्दना

गति, मति प्रेरक हे परमेश्वर !
बारम्बार है कोटि नमन |
करें समर्पित भक्तिभाव से,
तव चरणों में प्रीतिसुमन ||

हे प्रणवाक्षर ! आप हमारे,
क्लेशनिचय का हरण करें |
सुसंस्कृत, निष्कामी बन हम,
नीति, प्रीति का वरण करें ||

भावगम्य हे देव! हमारे ,
त्रिविध ताप का शमन करें |
ज्ञानदीप से आलोकित हो,
हम सत्पथ पर गमन करें ||

संस्कृति के संवाहक बन हम,
राष्ट्रधर्म में निरत रहें |
दैन्य, पलायन, लोभ, मोह, मद
दुष्कर्मों से विरत रहें ||

शस्य श्यामला रहे धरा ये,
करे निरंतर विद्यादान |
करें प्रतिष्ठित इस जग में हम
आदर्शों के नव प्रतिमान ||

                       डॉ० विनीता शुक्ला