About Founder

खरडीहा महाविद्यालय, खरडीहा गाजीपुर की स्थापना 2 अक्टूबर, 1972 को खरडीहा ग्राम सभा के एक उद्दात मनीषी निष्काम कर्मयोगी, परम श्रद्धेय स्वं0 बृजमंगल राय (मंत्री जी) के द्वारा की गयी थी। आप एक शिवभक्त, एवं महान समाज सेवी तथा खरडीहा महाविद्यालय, खरडीहा गाजीपुर के संस्थापक एवं आजीवन प्रबंन्धक भी रहे।

मंत्री जी का जन्म 14 जनवरी, 1914 (मकर संक्रांति) को, जब सूर्य मकर राशि में संक्रमण कर रहा था, हुआ था। खरडीहा भी मकर राशि के अन्तर्गत आता है। 'खर' से तात्पर्य है- घास-फूस (खर-पतवार) तथा 'डीह' से तात्पर्य है- आवास-निवास (Dwelling)। 'ब्रज' से तात्पर्य है- चारागाह तथा 'मंगल' से तात्पर्य है- कल्याण या मंगल करने वाला। उनका नाम उनके कृतित्व से मेल खाता है। उनके ही शब्दों में- ''लगभग 20 बरस की उम्र में ही सार्वजनिक कार्य करने की इच्छा मेरे भीतर जाग गयी। सन् 1933 में जबकि मैं 23 बरस का था, राजनीति में आ गया। आजादी के लिए आंदोलन चल रहे थे। आजादी मिली नई जिंदगी की शुरूआत हुई।'' ''मुझे क्षेत्र की जनता से काम करने की प्रेरणा मिली, उत्साह मिला, सहयोग मिला और काम आगे बढ़ा। शिक्षा के लिए विद्यालय खुले, फिर रोजगारपरक शिक्षा की व्यवस्था हुई। सड़क और बैंक पर हाथ लगा। शिवजी की मंदिर बना। न केवल प्रान्त के मंत्री, मुख्यमंत्री बल्कि कई केन्द्र के मंत्री भी यहाँ आये। और इस प्रकार कुछ हाथ-पैर चलाता रहा, खपता और खटता रहा।'' ''अब जीवन के संध्याकाल में यह सब सोचकर बहुत विचित्र लगता है कि मै ंतो कुछ नहीं हूँ।'' (मनीषा के पूर्व संस्करण से उद्धृत)

चार लाइनें उनकी खुद की बनाई
थकी देह क्या, जाने कब गिर पड़े यह।
मै गुदरी पुरानी सिये जा गये रहा हूँ।।
है जो कुछ भी निर्माण शंकर की थाती।
उसे आप सबको दिये जा रहा हूँ।।

(मनीषा के पूर्व संस्करण से उद्धृत)
और आखिर 13 फरवरी, 1998 को करईल के कर्मयोगी का परलोक गमन हो गया। हम संस्थापक जी को सच्ची श्रद्धांजली तभी दे सकेंगे यदि महाविद्यालय में छात्र संख्या बढ़ाकर 'नैक' मूल्यांकन कराने में सफल हो सकेंगे।